अपनों का सुरक्षा घेरा

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आज पहली बार वह अकेले ट्रेन से जा रही थी | घर में भरे पूरे परिवार में नारी मुक्ति पर इन्सान कितना कुछ बोलता है ? क्या कुछ सोचता है ? टीवी पर होती बहस सुन कर कितनी ही बार उसने पापा से बहस की थी कि बेटी होने के कारण उन्होंने उसे गुलाम बना रखा है | हमेशा साये की तरह साथ रहते है | बोलने की, घूमने की, यहाँ तक कि घर से कॉलेज जाए तब भी आते जाते वक़्त भाई को साथ भेजते है | घर नहीं उसके लिए कैद है परन्तु पापा कभी गम्भीरता से नहीं