तेरे नाम से शुरू तेरे नाम पर खत्म

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___________________________“क्या देख रहे हो!हाँ जानती हूँ थोड़ी मोटी हो गई हूँ पर उम्र भी तो देखो पूरी पैंतालीस साल की हूँ।आप भी ना!आँखों से ही सारी बात समझा देते हो।”कह कर स्मृति वार्डरोब से कपड़ें निकालने लगी।एक साड़ी हाथ में लेकर शेखर की ओर मुडी और बोली,“देखो!यह कैसी है,इसे पहन लूँ?क्या शेखर आप भी पिछले पच्चीस सालों से शादी की सालगिरह पर मुझे इसी साड़ी में देखना चाहते हो...।सच कहूँ मुझे भी अच्छा लगता है जब यह लाल साड़ी मुझे छूती है।प्रथम मिलन के आपके स्पर्श की याद दिला देती है।आप ठहरो मैं तैयार होकर आती हूँ।क्या!शर्म कीजिए आपके सामने...न