मुख़बिर राजनारायण बोहरे (19) चिट्ठी मैंने सुनाना आरंभ किया । हम लोग दोपहर को एक पेड़ के नीचे बैठे थे कि दूर से धोती कुर्ता पहने बड़े से पग्गड़ वाला एक आदमी आता दिखा । बागी सतर्क हो गये । वह आदमी थोड़ा और पास आया तो कृपाराम ने पहचाना -‘‘अरे ये तो मजबूतसिह है, अपना आदमी !‘‘ अपना आदमी, यानि कि बागियों का मुखबिर ! कृपाराम उठा और मजबूतसिंह से अलग से बतियाने के लिए आगे वढ़ गया । वे लोग देर तक बातें करते रहे । फिर मजबूतसिंह चुपचाप वापस चला गया । लौट कर कृपाराम ने उदास