शौर्य गाथाएँ शशि पाधा (7) प्रथा–कुप्रथा किसी भी समाज में सामिजिक प्रथाओं का अपना विशेष महत्व तथा तात्पर्य होता है | किसी न किसी विशेष कारणों से समाज के बुज़ुर्ग वर्ग ने इन प्रथाओं को बनाया होगा ताकि घर, गाँव और फिर देश में एकता, शान्ति एवं सौहार्द की भावना बनी रहे | यह प्रथाएँ देश, काल परिस्थिति के अनुसार बनती और बदलती रहती हैं | किन्तु ऐसा देखा गया है कि समय के साथ–साथ इन सामाजिक प्रथाओं का कहीं–कहीं दुरुपयोग भी होने लगा है | अधिकतर ऐसी प्रथाओं का केंद्र बिंदु नारी ही होता है| राजस्थान में सती प्रथा