छठवें वेतनमान समय में एक दो कौड़ी का आदमी!

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छठवें वेतनमान समय में एक दो कौड़ी का आदमी! कैलाश बनवासी संतोष अपनी माँ को लेकर बस से जामुल गया था,डॉक्टर चांदवानी के यहाँ। वहाँ से उनकी जाँच कराने के बाद अपने गाँव करेली लौट आया। अच्छा हुआ कि माँ का बुखार सामान्य निकला।मलेरिया या डेंगू टाइप कुछ ए ेसा—वैसा नहीं। लेकिन जो बात ए कदम खल गई, वह यह कि डॉक्टर ने अपनी फीस फिर बढ़ा दी है।पहले सौ लेता था,आज डेढ़ सौ लिया!सीधे पचास रूपए की बढ़ोत्तरी!माँ को घर छोड़ने के बाद वह सीधे स्कूल आ गया—अपनी ट्राइसिकल में। उसका ए क पैर पोलियो ग्रस्त है,और वह लंगड़ाकर