समय लगभग ६:३० शामके, हो रहा है।इसलिए सुरज की रोशनी हल्की लग रही है। और बदन को चुभ नहीं रही थीं।एक छोटा-सा झरना जंगल की बहार की तरफ बेह रहा है। उसके कलकल बहने की आवाज से शांत जंगल में मधुर संगीत का अनुभव होता है। उस झरने के किनारे लगा, एक बबुल का पैड झुककर ठिक उसके ऊपर आ बैठा है। और उस पेड़ पर दो नौजवान पश्चिम की ओर मुख करके बैठे हैं। उन दोनों ने साऊथ स्टाईल में लुंगी बांध रखी है। जीससे उनके घुटने साफ दिख रहे हैं। और उनके पैर पानी में डुब रहे हैं।