रात के डेढ़ बज रहे थे । घर के सभी दरवाजे खिडकियां बंद होने के बावजूद पलंग से नीचे फर्श पर पैर रखते ही उर्मिला जिज्जी के पूरे बदन में कंपकंपी चढ़ गई । हाथ में छड़ी पकड़कर पलंग पर बैठे बैठे ही उन्होंने छड़ी से लाइट का स्वीच ऑन किया और उनका पूरा कमरा दूधिया रोशनी से भर गया । छड़ी से ही पलंग के आसपास टटोलते हुए एक जोड़ी स्लीपर अपने पैरों के नजदीक लाकर उन्होंने उसे अपने पैरों पर चढ़ा लिया । फिर पिछले पांच वर्षों से अपनी संगिनी छड़ी का सहारा लेकर वे धीरे से पलंग