आधा मुद्दा (सबसे बड़ा मुद्दा) - अध्याय ६

  • 6.2k
  • 1.6k

-----अध्याय ६."मेरा भी वजूद है |"----- पुरुष जाति, नारी जाति को कमजोर क्यों समझता है? पुरुष जाति यह गलतफहमी में क्यों है, कि नारियां कमजोर होती है? क्या जन्म से ही पुरुष पहलवान होता है? क्या जन्म से ही नारी कमजोर होती है? जन्म के समय चाहे वह लड़का हो या लड़की हो समान होते हैं तो फिर आखिर पुरुष अपने आप को पहलवान /ताकतवर कैसे मानने लगता है ,कैसे हो जाता है? ------ क्या एक आम नागरिक /एक आम पुरुष जो दम भरता रहता है, जो पहलवान बनता रहता है, जो मर्द बनता रहता है वो क्या मैरीकॉम