आरुषि भाग - 4

  • 6.1k
  • 2.3k

"मोह्हबत में बुरी नियत से कुछ सोच नही जाता, बेवफ़ा कहा तो जाता है, मगर समझा नही जाता..!" (वसीम बरेलवी) ऐसा ही कुछ हो रहा था मेरे साथ उस समय..! दोस्तों की मंडली बैठती थी.. सब मिल कर मेरा मजाक उड़ाते थे..! यार.. काट गयी वो तेरा.. देख कैसा छोड़ गई वो तुझे.. बहुत बोलता था न वो ऐसी है, वो वैसी है.. पता चल गया न कैसी है..! मैं भी वहां कह देता था, हां यार.. बेवफ़ा निकली वो..! छोटी सी बात पर चली गयी..! लेकिन ये सिर्फ होंठ कह रहे थे, दिल मे तो तब भी वो