चली है बारात

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27 नवंबर को विवाह समारोह में शामिल होने के लिये मैं चार स्थानों से आमंत्रित था । शादियां क्रमश ; ‘घमासान भवन , ‘संग्राम भवन , ‘मेलमिलाप भवन , तथा ‘ दिल्लगी भवन ,‘ में थीं । भवनों के नाम पढ़कर , मैं मंद - मंद मुस्कराया - पटठों ने स्थान भी चुन-चुन कर रखे हैं । मज़े की बात यह थी कि ‘संग्राम भवन‘ को छोड़कर सभी भवन एक ही सैक्टर तथा एक ही पंक्ति में थे । ‘संग्राम भवन‘ शहर से दूर , पास लगते जंगल में था । मैंने श्रीमती जी से कहा - सुनती हो ,