वक्त वक्त की बात है....

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बारिश के दिन थे लेकिन वर्षा नही हो रही थी, पर घने काले बादल मंडरा रहे थे । उसके पास रेन कोट नही था, उसने सिर बचाने के लिए केवल प्लास्टिक का एक टुकड़ा साथ रखा था । उसे पहुचने में देर हो गयी थी। उसे उसके मालिक ने याद किया था । चेहरे पर बेचारगी का भाव लिए वो हमारे सामने गिड़गिड़ाता खड़ा था और मेरा दोस्त था कि उसे बात बात पर गाली दे रहा था । उसकी हजार कमियॉं निकाल कर उस पर बरस रहा था । वो उसके गाली से भरे डायलाग सुनता रहा,