पापा से बातें करते हुए रात कब गुज़र गई पता ही नहीं चला । अगली सुबह उठा तो देखा एक लिफाफा ड्राइंग रूम में कांच की उस सेण्टर टेबल के बीचों बीच रखा हुआ था । सलीके से चिपकाया हुआ वो लिफाफा किसी चिट्ठी सा लग रहा था । संकेत ने माँ को आवाज़ दी,"माँ ये चिट्ठी किसकी आई है ?" "पता नहीं बेटा खोल के देख ले ।" माँ ने किचेन से ही आवाज़ लगा दी । पापा कमरे से निकल कर संकेत के पास आ गए । अब तो हर पल लगा करता था कि कब कौन सी