अमर प्रेम - 9

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तुमने शादी की है राहुल मत भूलो की तुमने उसे खरीद नहीं लिया है की अपनी मर्ज़ी और अपनी मनमानी से उसे चलने के लिए मजबूर करो। तुम आज अगर अपने पैरों पर खड़े हो तो वो भी खड़ी है वह कोई तुम्हारी दासी नहीं है की अपनी ज़िंदगी के फाइसे तुम से पुछ्पुच कर करे फिर भी वह तुम्हारा मान रखने के लिए तुमको अपना जीवन साथ समझते हुए साथ लेकर चलना चाहती है तुम अपना यह बेकार का अहम लिए बैठे हो।