तक्सीम - 4 - अंतिम भाग

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‘‘हां भई हम पे भरोसा कहां था तुझे कि ख्याल रखेंगे तेरी बीवी का? अब संभाल ले तू।’’ बेटे का मजाक उड़ाते हुए अम्मा ने कहा तो जमील, अब्बा के सामने जरा शर्माया पर जबान तक आए उसके शब्द बेसाख्ता निकल पड़े-‘‘अम्मा जीवन भर का साथ है मेरा-इसका, निभाना तो पड़ेगा न।’’ और जमील-सोनी की गोद में फिर एक बच्चा था। स्वस्थ और सुंदर। ‘‘देख सोनी बिल्कुल रौशन पर गयी है न बिटिया?’’ सोनी हैरान रह गई। अक्सर बच्चे की शक्ल देखकर मां-बाप यही देखते हैं कि एक-दूसरे में से किस पर गया है या फिर ननिहाल-ददिहाल में किस के चेहरे-मोहरे से मिलता है पर जमील... वो तो अलग सी ही बात कर रहा था। उसकी खुशी थम नहीं रही थी।