आधा मुद्दा (सबसे बड़ा मुद्दा)

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----- अध्याय १."अर्धांगिनी"----- कहने को अर्धांगिनी कहा जाता है परंतु आधा हिस्सा दिया किसने, आधा हक दिया किसने, और आधा अधिकार/मान-सम्मान दिया किसने, आधा तो क्या उसे हर मोड़ पर छला जाता है, तोड़ा जाता है, मोड़ा जाता है और लज्जित किया जाता है और मौका मिलते ही पुरुष उसे सताने लगते हैं, रुलाने लगते हैं, उसकी हर भावनाओं का कत्ल करते लगते हैं| वह यह जरा सा भी नहीं सोचते कि नारी पर क्या गुजरेगी? झगड़े के बाद, घटना होने के बाद तब देखते हैं कि नारी अब उससे ज्यादा ही रूठ गई है और वह न बोलेगी