संध्या के समय कादम्बिनी ने पूछा, ‘क्यों रे किशन, वहां क्या खा आया?’ किशन ने बहुत लज्जित भाव से सिर झुकाकर कहा, ‘पूड़ी।’ ‘काहे के साथ खाई थी?’ किशन ने फिर उसी प्रकार कहा, ‘रोहू मछली के मूंड की तरकारी, सन्देश, रसगु...।’ ‘अरे में पुछती हूं की मंझबी बहू ने मछली की मूंड किसकी थाली में परोसी थी?’ सहसा यह प्रश्न सुनकर किशन का चहेरा लाल पीला पड़ गया। प्रहार के लिए उठे हुए हथियार को देखकर रस्सी सें बंधे हुए जानवर की जो हालत होती है, किशन की भी वही हालत होने लगी। देर करते हुए देखकर कादम्बिनी ने पूछा, ‘तेरी ही थाली में परोसा था ने?’