सुशीला बुआ की बातों को सुनने के बाद मुझे यह एहसास हुआ कि “शायद माँ भी अपनी जगह गलत नहीं है नकुल”, यह दुनिया है ही ऐसी “जो घर से बाहर नौकरी करने निकली हर औरत को अपने बाप की जागीर समझती है” और हर कोई उसका फायदा उठाने की कोशिश करता है। हो न हो, यही वजह रही होगी की माँ नहीं चाहती थी कि मैं नौकरी करुँ और मुझे भी वही सब झेलना पड़े जो उन्हें झेलना पड़ा था कभी....“जानते हो नकुल मैं उनकी बहुत इज्ज़त करती हूँ, मेरे मन में उनके लिए बहुत सम्मान है। इसलिए मुझे उनसे कोई शिकायत भी नहीं है।