अब लौट चले - 9

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अब लौट चले -9किसी ज़माने में इस घर में मेरी मर्ज़ी चला करती थी और मनु चुपचाप मेरी ज़िद के आगे झुक जाया करता था. ठीक उसी तरह आज में अभिषेक के आगे झुक गई थी एक अजीब सी दहशत उसके चेहरे पर दिखाई दी थी... जिसने मुझें सहमने पर मज़बूर कर दिया था... सुबह के 4 बज चुके थे अभिषेक मेरे पास आया था... में जाग रहीं थी.. संध्या जी... ! चलिए जल्दी से तैयार हो जाइये बस हमें 1 घंटे में निकलना हैं... मुझें लगता हैं तुम बेबजह परेशान हो रहें हो.. देखिये सुबह सुबह मै कोई फालतू बात ना करना चाहता