प्रकृति मैम - इसी दरख़्त की एक और डाली

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5.इसी दरख़्त की एक और डालीबचपन से ही चित्रकला से लगाव होने के चलते मैं विख्यात चित्रकार देवकीनंदन शर्मा के आवास पर कभी - कभी जाता था। मुझे उनको चित्र बनाते देखना अच्छा लगता था। उनका बारीक ब्रश किसी भी काग़ज़ के नक्षत्र बदल देता था।उनका सबसे बड़ा पुत्र भी नामी चित्रकार था। दूसरा पुत्र डॉक्टर बनने की राह पर था,जो क्षेत्र कभी मेरे आकर्षण का भी केंद्र रहा था। उनका तीसरा पुत्र मेरा हमउम्र होने से मेरा आत्मीय मित्र था।वह स्वभाव से बहुत सरल तथा लगाव रखने वाला लड़का था। उनका चौथा पुत्र भी मुझसे बहुत लगाव रखता था।