कहानी- "पुनर्जन्म" देव एक चबूतरे के बीचों बीच चारपाई में लेटे थे,एक तो गर्मी का महीना, और सुबह लगभग दस बजे का समय,धूप तेज होती जा रही थी।चबूतरे के छोर में बायीं ओर नीम के पेड़ की छाया जीवन बर्षा कर रही थी।देव गर्मी की छुट्टी में आते थे तो नीम के पेड़ के नीचे वक्त गुजारते।इस नीम के पेड़ को देव और ममता ने बचपन में लगाया था इसीलिए इस पेड़ से इतना मोह भी था।देवदास किसी किताब में आँखे गड़ाए ध्यानमग्न थे,तभी देवदास के बड़े भाई आए और बोले