मेरे संपादक ! मेरे प्रकाशक!! यशवंत कोठारी (१) लेखक के जीवन में प्रकाशक व् सम्पादक का बड़ा महत्वपूर्ण स्थान है .एक अच्छा संपादक व् एक अच्छा प्रकाशक लेखक को बना या बिगाड़ सकता है. मुझे अच्छे प्रकाशक -संपादक मिले,बुरे भी मिले.किसी ने उठाया किसी ने गिराया, किसी ने धमकाया , किसी ने लटकाया , किसी ने अटकाया किसी ने छापा किसी ने अस्वीकृत किया ,किसी ने खेद के साथ अन्यत्र जाने के लिए कहा , किसी किसी ने स्वीकृत रचना वापस कर दी, कुछ ने स्वीकृत पांडुलिपियाँ ही वापस कर दी किसी ने विनम्रता से हाथ जोड़ लिए.