यहाँ देख ऐसा लग रहा था... ये वही बेड जो आज भी बैसा ही हैं बेड पर बिछी ये चादर भी तो वही हैं... उफ़... ये में क्या देख रहीं हूं... यहां तो सब कुछ उसी दिन से थमा हुआ सा हैं... आप बैठिये... वो उस चेयर पर ही बैठिएगा... और वो वहाँ से चला गया... मै अपने बैठने की उस कुर्सी को देख रहीं थी... जिसे सिर्फ मेरे लिए ही मनु लेकर आया था... इस वक्त उस कुर्सी पर धूल जमीं हुई थी... ऐसा लग रहा था शायद ये घर काफ़ी दिनों बाद खोला गया हों.... तभी अभिषेक हाँथ में पानी