एकजुटता इस विघटनकारी समय में सामाजिक एकजुटता के नए आयाम परिभाषित करती कहानी एकजुटता उस दिन मैं जयपुर से अपने शहर लौटने के लिए एयरपोर्ट की तरफ जा रहा था कि रास्ते में मेरे पिताजी के मित्र दिख गए, कॉमरेड शशि शेखर. जैसा उन्हें बचपन में देखा था, ठीक वैसी ही वेश-भूषा. सफेद धोती-कुर्ता, धूल-धूसरित पैरों में एक जोड़ी पुरानी चप्पल और कंधे से लटका एक झोला. काफी वर्षों बाद मैं उन्हें देख रहा था. उनके बाल पूरी तरह सफेद हो चुके थे. वे काफी बूढ़े और थके हुए लग रहे थे. मैंने गाड़ी रोक कर उनका अभिवादन