भारती प्रसन्नता भरे स्वर में पुकार उठी, 'शशि बाबू, हम लोग आ गए। खिलाने-पिलाने का इंतजाम कीजिए। नवतारा कहां है? नवतारा!....नवतारा....!!' शशि बोले, 'आइए, नवतारा यहां नहीं है।' डॉक्टर ने मुस्कराते हुए पूछा, 'गृह गृहिणी शून्य क्यों है कवि? उसे बुलाओ। आकर हम लोगों का स्वागत करके अंदर ले जाए। नहीं तो हम यहीं खड़े रहेंगे। शायद भोजन भी नहीं करेंगे।' शशि बोले, 'नवतारा नहीं है डॉक्टर, वह सब घूमने गए हैं।' उसका चेहरा देखकर भारती डर गई। उसने पूछा, 'वह घूमने चली गई? आज के दिन? कैसी अद्भुत समझ है?'