भाग – ३७ अंतिम भाग ‘फिर क्या हुआ गुड्डी का...?’ सूरजने पूछा | ‘वो बारबार भागने की कोशिश कर रही थी, उसके बाप तेजधार को डराना चाहते थे मगर उस रात कुछ नशा ज्यादा हो गया था तो गुड्डी मेरी आँखों में बस गई...और उस रात गुड्डी के साथ रंगीन रात हो गई | उसके बाप की अक्कल ठीकाने लागे के लिए वो करना जरुरी था फिर उसको एक गंदी नाली फेंक दिया... **** तेजधार फिर कभी हमारे पास भीख माँगने नहीं आया..!’ अनवर की बात अभी ख़तम ही नहीं हुई थी और पीछे की ओर से एकसाथ दो