अब लौट चले - 1

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अब लौट चले आज मुझें ऐसा लग रहा था कि मै सच में आज़ाद हूं, सारी दुनियां आज पहली बार मुझें नई लग रहीं थी, सब कुछ नया और सुकून से भरा गर्त के अँधेरे को चीर मेरे कदम नए उजाले की और अनयास ही बढ़ चुके थे, ठीक उसी तरह जब मै मनु के साथ अपना घर छोड़ कर नई जिंदगी की शुरुआत करने के लिए नये शहर मे आ बसी थी.. शायद मनु ही मेरा सच्चा प्यार था... उसने हर पल की ख़ुशी मेरी झोली में उड़ेली थी, आज भी उसके शब्द मेरे कानो में गूंजते है...क्या हुआ जान तुम