राजनारायण बोहरे की कहानी गवाही मजिस्ट्रेट साहब का रवैया देख मै हतप्रभ हो गया । वे जिस तू तड़ाक वाली भाषा में मुझसे सवाल जवाब कर रहे थे, उससे लग रहा था कि वे पहले जरूर किसी पुलिस थाने के दारोगा थे। न्याय की आसंदी पर विराजमान हर मजिस्ट्रेट अपने सामने हाजिर होने वाले आदमी से क्या ऐसे ही बात करते होंगे । मै डर के मारे पसीना पसीना था, और कुछ इल्तिजा करना ही चाहता था कि गला अवरूद्ध हो गया और मै घबरा गया फिर जाने कैसे मेरी नींद खुल गई । फिर तो रात