राह से भटकी जिंदगी

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जब बचपना होता है | तो बच्चा क्या-क्या ख्वाब नहीं देखता है | राजू भी उन मेसे एक था वो भी अपने दोस्तों केे जैसे पैसे वाला बनना चाहता था | तो वोभी उन्ही के साथ घूमता फिरता रहता था | एक दिन जब वो खेल रहे थे तभी विजय ख़ुशी केे मरे भागते हुए आया आया और सबको बुलाया और बोला सुनो दोस्तों सुनो आज विदेश से मेरे भईया आने वाले हैं .. हु हु.. सभी ने बोला अरे वा मोहन भईया आने वाले हैं | विकास- हा मोहन भईया और पता है ईश बार भी वो मेरे लिए