मायामृग - 10

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उदित पहले किसी गैर-सरकारी कार्यालय में काम कर रहा था, उसके अन्दर बड़ा बनकर जीने की एक तृष्णा थी बड़े बनने की एक भूख! जिसने उसे कई बार असफ़लताओं के मार्ग दिखाए थे उदय की इच्छा थी उनका बेटा जिस नौकरी में लगा है, वहीं जमा रहे कंपनियाँ उसे सहर्ष काम करने के लिए आमंत्रित करतीं और उसके काम को खूब सराहा जाता, कुछ दिनों में वह ‘प्रोजेक्ट-हैड’ बना दिया जाता किन्तु उदित को स्वयं को बड़ा बनने, देखने-दिखाने की भूख कुछ अधिक ही थी पता नहीं यह उसके मित्रों के वातावरण के कारण था अथवा उसके प्रारब्ध में ही यह सब था