सैलाब - 28

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अपना दर्द किसको भला कह सकती है। कुछ दिन तक जो हमदर्द बन कर साथ खड़े थे लेकिन कोर्ट की कार्यवाही में वे भी साथ छोड़ दिये। कोई कितने दिनों तक साथ चलता सब एक एक कर अपने कामों में व्यस्त हो गए। बिंदु कई नए मामलों में व्यस्त हो गई। कभी समय मिलता तो शबनम को मिलने आ जाती थी पर अब उसके पास भी वक्त कहाँ होता था। पावनी भी अपनी घर गृहस्थी में जुट गई।