गलतफहमी

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सर्दी की दोपहर सिया को हमेशा ही अनोखे अहसास कराती है, पहले सिर्फ गुदगुदाती थी, अब कभी कभी उदास कर देती है। आज सुबह से ही कुछ बेचैनी सी महसूस हो रही थी। आज वैसे भी इतवार है, यूनिवर्सिटी बंद है सो वह कुछ रिसर्च पेपर्स लेकर धूप में आ बैठी। अचानक फोन बजा.... "हेलो सिया! मैं सतवीर बोल रही हूँ, आज शाम को मायके पहुँच रही हूँ, तेरा क्या प्रोग्राम है, कल शाहीन के बेटे की पार्टी में मिल रही है न?""अरे वाह..! पर कल मुझे कुछ जरूरी काम है, अभी तुम लोग एन्जॉय करो,