अम्मा

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अम्मा ******* “आज हमसे खाना नही बनेगा भाई !”भाभी ने रोटी सेकते-सेकते झटके से आटे की परात अपने आगे से सरका दी और झल्लाते हुए लकड़ी के पटरे को पैर से ठेल कर चूल्हे के पास से उठ खड़ी हुईं । अम्मा धीरे से भाभी के ठेले गए पटरे को आगे खिसका कर बैठ गईं और हौले से परात आगे करके आटे की लोई तोड़ रोटी बनाने लगीं । पाँच सेकंड के इस एकांकी को अम्मा ने दर्शकहीन समझ लिया था ।इसी से बड़ी सफाई से अपने पल्लू से आँखें पोंछते -पोंछते उनकी नजर रसोई की चौखट पार करती मुझ पर पड़ी ।वो