बहुत साल पहले कहीं पढ़ी एक कविता उसके मरने के बाद उनको याद आई। वह उनके अन्दर आत्मध्वनि बन गूंजने लगी नीले आकाश की रात मन की याद फूल जैसे खिली है कौन मेरे मन के अन्दर बसी हुई जाने कौन?