श्रीकान्त अंकल जी बस इसी बात को बार-बार सोच कर परेशान हुआ करते थे, कि ' मेरे होते हुए मेरे बीवी बच्चों को कमाना पड रहा है। और मैं उनकी कमाई को आराम से बैठ कर खा रहा हूँ। मुझ जैसा बदक़िस्मत व्यक्ति शायद ही कोई हो इस दुनिया में।' ये सब सोचने के सिवाय कोई और चारा भी तो नही था। क्योंकि उन को एक ऐसी बीमारी ने जक़ड लिया था। जो हफ़्ते में सिर्फ़ एकाध बार श्रीकान्त अंकल जी को अपने होने का अहसास दिला देती थी। और जिसके चलते श्रीकान्त अंकल जी के घर वालो ने उन्हें