लोभिन - 3

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गर्मियों के दिन थे दोनों जेठानियाँ बच्चों के साथ मायके गयीं थीं घर में बस सास-ससुर और नौकर-चाकर थे पति तो रात के अंधेरे में भूत की तरह उजागर हो जाता और सुबह नीचे उतर कर गायब हो जाता इधर मनोहर का आना-जाना बढ़ गया था कुसुम ने हिदायत भी दी थी कि अब उस घर की तरफ आँख उठा कर भी ना देखे पर वह नहीं माना मनोहर के आते ही सुधा खिल उठती थी