लोभिन - 2

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उस दिन भी सुधा रो रही थी कि तभी गेट खटका उसने जा कर दरवाजा खोला तो देखा उसका जीजा मनोहर खड़ा था उसने भीतर आने के लिए रास्ता दिया और फिर से दरवाजा बंद कर दिया मनोहर सब जनता था, माँ काम पर गयी थी मनोहर को पानी देने के लिए वह उठी मनोहर ने उसका हाथ पकड़ कर अपने पास बैठा लिया सुधा की आँखे रोने के कारण सूज गयीं थीं मनोहर ने उसकी ठोड़ी के नीचे उँगली रख कर उसका चेहरा ऊपर उठा दिया और उसकी आँखों में झाँकता हुआ स्वर में चाशनी सी मिठास घोल कर बोला -