खुशियों की आहट - 6

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दोपहर बाद मोहित स्कूल से वापिस आया तो उसका मुँह उतरा हुआ था. उसका मैथ्स का टैस्ट कुछ ख़ास अच्छा नहीं हुआ था. दो-तीन प्रश्न तो वही आए थे, जो उसे मुश्किल लग रहे थे और जो वह सुबह पापा से समझ नहीं पाया था. रह-रहकर उसके दिमाग़ में यही बात आ रही थी कि अगर पापा ने उसे वे सवाल शनिवार या रविवार को समझा दिए होते तो उसका टैस्ट काफी अच्छा हुआ होता. पर पापा तो इन दोनों दिनों में कोचिंग कॉलेज में दूसरे बच्चों को पढ़ा रहे थे.