रविवार को जब अनुराग वापस शिमला पहुँचा तो रात के ग्यारह बजने वाले थे। घर में श्रद्धा और जाह्नवी जाग रही थीं, क्योंकि निर्मल ने टेलिफोन पर सूचित कर दिया था कि अनुराग सिरसा से तीन बजे के लगभग चला था। निर्मल ने चाहे अपनी ओर से जाह्नवी को सारी बातें बता दी थीं, फिर भी वह तथा उसकी भाभी अनुराग की जुबानी सुनने को उत्सुक थीं। अनुराग ने आते ही सबसे पहले जाह्नवी का, और फिर श्रद्धा का मुँह मीठा करवाया। तदुपरान्त सावित्री द्वारा दी गयी सोने की ‘लड़ी' पहनाते हुए बताया कि यह निर्मल की पड़दादी के समय की लड़ी है।