पल जो यूँ गुज़रे - 10

  • 8.1k
  • 3.2k

जब निर्मल चण्डीगढ़ आया तो हॉस्टल में कई लड़कों ने उससे पूछा, अरे भई, इतने दिन कहाँ रहे? उस द्वारा दादी के देहान्त का समाचार देने पर सभी ने औपचारिक शोक जताया। डिपार्टमेंट में भी उसके करीबी दोस्तों ने इतने दिन की उसकी अनुपस्थिति के बारे में पूछा। शाम होने के करीब उसने जाह्नवी को पत्र लिखना आरम्भ किया। सम्बोधन कई बार लिखा, काटा। उसको समझ नहीं आ रहा था कि सम्बोधन में क्या लिखे? जाह्नवी के घर के पते पर यह उसका प्रथम पत्र जाना था, इसलिये सम्बोधन को लेकर उसका मन दुविधग्रस्त था। इससे पहले जो पत्र उसने जाह्नवी को लिखे थे, वे तब लिखे थे जब वह दिल्ली में थी। अन्ततः उसने लिखाः