क्योंकि निर्मल ने पत्र द्वारा पहले ही सूचित किया हुआ था कि मैं दीवाली से चार दिन पूर्व आऊँगा, इसलिये कुछ तो दीवाली के कारण और कुछ उसके आने की खुशी में घर में त्योहार जैसा माहौल बना हुआ था। एक तो वह तीन महीने पश्चात् घर आया था, दूसरे आईएएस के लिये उसके पेपर बहुत अच्छे हुए थे। सब को आशा थी कि अब तो बहुत जल्दी ही भाग्य परिवर्तन होने वाला है। सावित्री ने उसके आने की खुशी में माल—पूड़े तथा खीर बनाई थी। दीवाली सिर पर थी, इसलिये गुड़ की और नमकीन मठियाँ भी बना रखी थीं। जब उसने घर पहुँचकर दादी और माँ के चरण—स्पर्श किये तो दोनों ने उसे बहुत आशीर्वाद दिये। दादी उसे अपने सीने से लगाकर बहुत देर तक उसके सिर पर हाथ फेरती रही।