खट्टी मीठी यादों का मेला - 9

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(रात में बेटी के फोन की आवाज़ से जग कर वे, अपना पुराना जीवन याद करने लगती हैं. उनकी चार बेटियों और दो बेटों से घर गुलज़ार रहता. पति गाँव के स्कूल में शिक्षक थे. बड़ी दो बेटियों की शादी हो गयी थी. बड़ा बेटा इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ रहा था और छोटा बेटा मेडिकल की तैयार) गतांक से आगे प्रमोद की मेहनत रंग लाई और उसे मेडिकल कॉलेज में एडमिशन मिल गया. नमिता ने यह खबर सुनते ही कहा, चलो अच्छा हुआ, डॉक्टर की फीस बची... अब छोटके भैया अपना इलाज़ खुद कर सकेंगे, एकदम फूलकुमार है, जरा सी हवा चली और बीमार पड़े.