अमलतास

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जहाँ प्रेम हो वहाँ नीरवता कितनी सहज व सुखद होती है। किसी से चुपचाप प्रेम किए जाने की बात हो तो शून्यता के इस भाव का कहीं कोई मुकाबला नहीं..... फिर किसी को निहारते रहने के आनन्द के मध्य कुछ कहने सुनने की इच्छा भी कहाँ होती है....उस रात जब मेरी नींद खुल गयी.. मेरे बेडरूम की खिड़की पर मानो चाँद उतर आया.. दीवार पर एक आकृति उभरी.. मैं अपलक निहारती रही.. तकिए पर सिर तक हिलाए बिना मैं उस प्यारी सी साझी खामोशी की उजास में नहाती रही, जिसे केवल मेरी नरम साँसों