मज़बूरी

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"मज़बूरी"नन्ही रौनक गुब्बारे को देख कर मचल उठी, अम्मा अम्मा हमें भी गुब्बारा दिलाओ ना दिलाओ ना हम तो लेंगे वो लाल बाला, दिलाओ ना अम्मा।भइया कितने का है फुग्गा कांता ने गुब्बारे बाले से पूछा।एक रुपए का है बहन जी ले लीजिए बच्ची का दिल बहल जाएगा।ए क रूपा कांता के मुंह से जैसे उसकी निराश उसकी मजबूरी निकली हो।रहने दो भय्या बाद में दिला दूंगी अभी (पैसे,, )खुल्ले नहीं है भय्या वह अपने चेहरे के भावों को छिपाती हुई बोली।चल रौनक हमें तेरे पापा की दवाई भी लेनी है ना।कांता रौनक का हाथ पकड़े लगभग घसीटते हुए