खट्टी मीठी यादों का मेला - 1

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गहरी नींद में थीं वे, लगा कहीं दूर कोई गाना बज रहा है, पर जैसे जैसे नींद हलकी होती गयी, गाने का स्वर पास आता प्रतीत हुआ, पूरी तरह आँख खुलने के बाद उन्हें अहसास हुआ ये आवाज तो मेज पर पड़े मोबाईल से आ रही है. ओह! इस मुए रमेसर ने लगता है फिर से गाना बदल दिया, इसीलिए नहीं पहचान पायीं. खुद तो घोड़े बेचकर बरामदे में सो रहा है, अब बिटिया नाराज़ होगी, फोन नहीं उठाया. संभाल कर पलंग से नीचे कदम रखा, आहिस्ता आहिस्ता कदम रखते जब तक मेज तक पहुँचती, मोबाईल थक कर चुप हो चुका था. लालटेन की बत्ती तेज की, गाँव में बिजली तो बस भरे उजाले में ही आया करती है. घुप्प अँधेरा देख वो भी डर कर भाग जाती है. चश्मा लगाया और मोबाईल लेकर संभल कर पलंग पर बैठ गयीं.