दस दरवाज़े - 6

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नसोरा को लेकर नवतेज तथा अन्य मित्र मुझ पर फब्तियाँ कसने लगते हैं, पर मैं उनकी परवाह नहीं करता। नसोरा के साथ मेरी मित्रता चल निकलती है। अब हम अवकाश के दिन कहीं न कहीं घूमने चले जाया करते हैं। कई बार वह मेरे किराये के कमरे में भी आ जाया करती है। हम खुलकर एक-दूसरे से बात कर सकते हैं। वह अब मेरे इतना करीब हो चुकी है कि मोहन लाल वाली बात करना इस मित्रता के लिए अपमानजनक बात दिखाई देती है।