अभी 5:45 शाम के बज रहे थे।मैने नाश्ता खतम किया। और पुछा कितने रुपे हुए। वह कुछ दैर गीन कर बोला। शाब, 20 रुपे। मैने जट से पोकेट नीकाला और 50 रुपेकी नोट नीकाली। मैने जैसे ही असकी और बढाई बह बोला। साब, छुट्टे नही। मै: मेरे पास तो नही है। वह: कुछ सोच कर, पास मे मेरा घर है। माँ से कह कर दिलवा देता हु। चलते-चलते मैने उससे बच्चे का नाम पुछा मालुम हुआ। कुबेर, संपती का देवता।वह आगे से एक तंग गली मे मुडा, मै भी उसके पीछे चल दीया।मैने उत्सुकता वश कुबेर से पुछ लीया। बारीश कैसी लगती तुझे? और वह गुस्सा गया।