घुमक्कड़ी बंजारा मन की - 2

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तपते राजस्थान में यदि जाने की कल्पना की जाए तो जहन में सब कुछ गर्मी में झुलझता ही घूम जाता है और जुलाई के उमस भरे मौसम में तो यह सोचना कि पुष्कर और अजमेर जाना है तो लगता है कि जाने यह कैसा बेहूदी सी सनक है, पर कहते हैं न की जब कहीं जाने का बुलावा और दाना पानी है तो जाएंगे ही।