अदृश्य हमसफ़र - 15

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अपने लिए पगली का सम्बोधन सुनकर ममता की भवें तन गई। नकली गुस्सा जाहिर करते हुए इठला उठी- अनु दा, दादी बन चुकी हूँ मैं। आपको पगली दिखती हूँ। अनुराग मद्धम सी हंसी हँसकर कहने लगे- ये कहाँ लिखा है कि जो दादी बन जाती है वह पगली नही रहती। देखो न मुन्नी अभी भी तुम अपनी उम्र भूलकर मेरे सामने कैसे बच्चों की तरह इठलाने लगी हो।