अचानक एक कठोर आवाज ने उसको अंदर तक हिला दिया। अरे मुर्ख अजय , अजातशत्रु बनने पर क्यों तुला है ? अजय को अपने मास्टरजी की बात समझ नहीं आई। वो जामुन के छोटे से पेड़ को अपने हाथों से उखाड़ने में लगा था । अंत में पसीने से लथ पथ होकर बैठ गया। जामुन और बांस के बहुत सारे छोटे छोटे पेड़ थे। वो उसकी हताशा और निराशा पर हँस रहे थे। मास्टरजी आये और उसको एक कुल्हाड़ी पकड़ा दिए और कहा , धीरे धीरे इन पेड़ो की डालियों को काटो जो गन्दगी फैला रहे हैं। छोटे छोटे घास