अदृश्य हमसफ़र - 13

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ममता तिलमिला उठी, कुछ कहना चाहा लेकिन जुबां जैसे तालू से चिपक गयी और कुछ पल के लिए सकते में आ गयी। अनुराग से इस तरह के व्यवहार और इतनी उपेक्षा का अंदाजा भी नही था उसे। यद्धपि उसके जेहन से काफी हद तक अनु दा का भूत उतर चुका था लेकिन फिर भी कभी कभी यादों की लहरें उसके अन्तस् को भिगो जाती थी। रिश्ते की जड़ें बहुत गहरी थी भले ही उसमें जलन का मादा कुछ ज्यादा ही था। उसने कभी सपने में भी नही सोचा था कि उसका सबसे करीबी रिश्ता उससे इस कदर दूर हो जाएगा। ममता का मन मानने को तैयार नही था कि हर बार यही सयोंग होता है। वह दो बार मायके आयी और दोनो बार अनु दा काम के सिलसिले में बाहर होते हैं। जरूर कोई तो विशेष कारण है लेकिन क्या हो सकता है?.